मंगलवार, 28 सितंबर 2021
प्रकृति को बदलना है, सोच बदलिये
गुरुवार, 9 सितंबर 2021
अक्टूबर अंक का विषय- हैप्पीनेस इंडेक्स...खुशी की प्रकृति
प्रकृति दर्शन, पत्रिका में आलेख आमंत्रित हैं
दोस्तों त्योहारों के कारण अक्टूबर और नवंबर के माह हम भारतीयों की खुशियों के माह होते हैं, बेशक हम कितने भी थक जाएं, लेकिन इन महीनों में हम अपनों के बीच होते हैं, मुस्कुराते हैं और उम्मीद से लबरेज हो जाते हैं...लेकिन केवल एक या दो ही माह की खुशी क्यों ? केवल कुछ चुनिंदा अवसरों पर ही खुशी क्यों और क्यों हमेशा हम खुशी से नहीं जी सकते...? क्यों हम अपने यहां कोई हैप्पीनेस इंडेक्स नहीं बना पाए ? क्यों हमने यह नहीं सोचा कि प्रकृति और खुशी के बीच एक रिश्ता है या यूं कहा जाए कि खुशी का प्रकृति से गहरा नाता है। ऐसा माना जाता है कि आपके खुश रहने में प्रकृति की बहुत अहम भूमिका है। जानते हैं कि दुनिया के लगभग अधिकांश देश हैप्पीनेस इंडेक्स पर प्रमुखता से कार्य कर रहे हैं, प्लानिंग भी उसी तरह बनाई जा रही हैं। प्रकृति केंद्रित योजनाओं पर कार्य आरंभ हो गया है...हम कहां हैं और हमें क्या करना चाहिए...लिखिएगा...बहुत महत्वपूर्ण विषय है- अगला अंक इसी महत्वपूर्ण विषय पर...। आलेख आमंत्रित हैं...दोस्तों 20 सितंबर तक आलेख ईमेल पर अवश्य मिल जाएं...।
संदीप कुमार शर्मा
प्रधान संपादक, प्रकृति दर्शन, राष्ट्रीय मासिक पत्रिका
वेबसाइट- www.prakritidarshan.com
ईमेल- editorpd17@gmail.com
मोबाइल/व्हाटसऐप- 8191903651
बुधवार, 8 सितंबर 2021
जलपुरुष डाँ. राजेंद्र सिंह जी ने किया प्रकृति दर्शन, पत्रिका का ऐप लाँच...
बचपन, घरौंदा और जीवन
कितना आसान था बचपन में पलक झपकते घर बनाना... और उसे छोड़कर चले जाने का साहस जुटाना... और टूटने पर दोबारा फिर घर को गढ़ लेना...। बचपन का घर बेश...
-
सुबह कभी खेत में फसल के बीच क्यारियों में देखता हूँ तो तुम्हारी बातों के सौंधेपन के साथ जिंदगी का हरापन भी नज़र आ ही जाता है...। सोचता हूँ मु...
-
फ्रांस का अध्ययन है कि 2000 से 2020 के बीच ग्लेशियर के मेल्ट होने की स्पीड दोगुनी हो चुकी है ये उनका अपना अध्ययन है, क्या करेंगे ग्लेशियर। स...
-
लघुकथा अक्सर होता ये था कि पूरे साल में गर्मी का मौसम कब बीत जाता था पता ही नहीं चलता था क्योंकि घर के सामने रास्ते के दूसरी ओर नीम का घना व...