आशुतोष जी से शब्दों का आलोक मिलता रहे

 


ईश्वर से कामना है हमें शब्दों का आलोक चाहिए लेकिन आशुतोष जी का...। उनके शब्दों का, उनके चिंतन का...। आशुतोष हो जाना आसान नहीं है लेकिन उनके आलोक को हासिल करना और उसके तेज को आत्मसात करना भी ईश्वर का ही आशीष है..। मैं हमेशा से कहता हूँ कि आशुतोष को समझने के लिए मन का आशुतोष होना अनिवार्य है लेकिन ये भी महसूस करता हूँ कि उनके चिंतन के शाब्दिक चेहरे का आभा मंडल भी परम सत्ता की भांति ही दमकता है...। हम उनका अभिनय देखें लेकिन हमें यदि चरित्र निर्माण पर गहन होना है तो उन्हें पढ़ना होगा....। आपका लेखन आपकी पहचान है, उसके भाव और गहन चिंतन जीवन के दर्शन से रूबरू कराते हैं। हम कहीं ठहर जाना पसंद करते हैं जब भी कोई लेखन हमें अपनी सी अनुभूति करवाता है। हम शब्दों में जीने वालों को एक मौन हमेशा से अपनी ओर खींचता रहा है, लेखन की प्रेरणा बनता रहा है...। आपका लेखन मौन की भावाव्यक्ति है...। आशुतोष होकर लिखना और गहन हो जाना आसान नहीं है, लेकिन हमें आपके माध्यम से आशुतोष सा शाब्दिक मौन हमेशा मिलता रहा है, हमें ये आलोक सतत चाहिए और हम अपने भीतर आशुतोष को गहरे तक जगह दे चुके हैं। हम खुशनसीब हैं जो हमारी पीढ़ी को आशुतोष राणा मिले हैं...और यह सदी भी धन्य है जो रामराज्य की गवाह बनी है...।
खूब शुभकामनाएं आदरणीय #AshutoshRana भाईसाहब....। ईश्वर आपसे गहन लेखन करवाता रहे....।


मन में बस जाती हैं कुछ यात्राएं ...अगला अंक- यात्रा वृतांत (प्रकृति के बीच)

जीवन में यात्राएं हमें बहुत सिखाती हैं, यदि यात्राएं प्रकृति के बीच हों या प्राकृतिक स्थलों की हों तो हमारे मन में कहीं याद बनकर रह जाती है, लिखियेगा ऐसा ही कोई वृतांत जो आप हमेशा अपने में संजोय रहते हैं, प्रकृति दर्शन, राष्ट्रीय मासिक पत्रिका का दिसंबर का अंक यात्रा वृतांत (प्रकृति के बीच) पर केंद्रित रहेगा, इसके लिए यात्रा वृतांत आमंत्रित हैं जो हमें 22 नवंबर तक ईमेल के माध्यम से हमें भेजे जा सकते हैं। 

अपने यात्रा वृतांत के साथ फोटोग्राफ और उनका विवरण अवश्य भेजिएगा...। अपने यात्रा वृतांत की सूचना हमें व्हाटसऐप पर भी दी जा सकती है। 


- प्रकृति दर्शन पत्रिका, ऐप पर भी उपलब्ध है, आप गूगल प्ले स्टोर से ऐप डाउनलोड कर सकते हैं...।


संदीप कुमार शर्मा

प्रधान संपादक, प्रकृति दर्शन

ईमेल- editorpd17@gmail.com

मोबाइल/व्हाटसऐप- 8191903651

वेबसाइट- www.prakritidarshan.com

प्रकृति दर्शन का नवंबर अंक ‘प्रकृति और संस्कृति’ पर


आपकी अपनी पत्रिका प्रकृति दर्शन का नवंबर माह का अंक ‘प्रकृति और संस्कृति’ पर केंद्रित है, प्रकृति और संस्कृति का कितना गहन जुड़ाव है इसी को इस अंक में हमारे लेखक साथियों ने रेखांकित करने का प्रयास किया है। खुशी की बात यह है कि इस अंक में हमारे तीन ब्लॉगर साथियों की भी सहभागिता है। जिज्ञासा सिंह जी की कविता, श्वेता सिन्हा जी की कविता और उनके फोटोग्राफ तथा मीना शर्मा जी के फोटोग्राफ। आप सभी का आभार। 
 यह अंक तकनीकी कारणों से लेट है इसके लिए क्षमाप्रार्थी हैं। इस अंक के कवर पेज पर फोटोग्राफ नवदुनिया के फोटोजर्नलिस्ट अबरार खान का है, कवर पेज आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत है, पत्रिका मोबाइल ऐप पर उपलब्ध है, पत्रिका को पढ़ने के  लिए गूगल प्ले स्टोर से ऐप डाउनलोड कर सकते हैं।
आप पत्रिका को गूगल प्ले बुक पर भी पढ़ सकते हैं इसके लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिएगा।


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