जब कुछ टूट रहा होता है, बिखर रहा होता है, निस्तेज हो रहा होता है तब यकीन मानिए कि कहीं कुछ नया रचा जा रहा होता है। कुछ कोपलें रंग पाती हैं, निखार पाती हैं, इसी दौर में कुछ पत्ते पीले होकर गिर जाते हैं। यह समय है दोस्तों और इसमें शीर्ष भी है और उससे वापसी भी है। हमें धैर्य रखना चाहिए क्योंकि आज हम शीर्ष पर हैं तो कल हमें नीचे की ओर आना है और यदि हम नीचे की ओर है तो हमें शीर्ष की ओर अग्रसर होना है, यह एक प्रक्रिया है और इस प्रक्रिया का अनुसरण करते हुए दोनों ही स्थितियों में मुस्कुराना यही जीवन की जीत है और उसका दर्शन है। हमें समझना है कि यदि हम शीर्ष पर ठहरने की जिद करते हैं तो यह संभव नहीं है क्योंकि विकास एक प्रक्रिया है और वह एक दिन आपको मिटाता भी है और दोबारा आपमें से ही किसी को नये तरीके से बनाता भी है। यह मानव स्वभाव है कि सफलता के दिन सभी को अच्छे लगते हैं लेकिन जब आप अवसान की दिशा में होते हैं तब बैचेन हो उठते हैं। खैर, समझिए कि हमें केवल अपना कर्म करना है और अपनी दिशा में अग्रसर होना है। यह जिंदगी का तिलिस्म है, टूटता है और बिखरता भी है, फिर शीर्ष हो जाता है।